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लेखनी प्रतियोगिता -मौन -16-Oct-2023

मौन

दिल मौन है
अखियां मौन है
जुबा पर ताला है
तुम्हारी एक ना से

दिल में शांत सी हलचल मची है
मौन अखियां भटक रही है मौन के दरबार में
तेरे ना ने स्तब्ध कर दिया इस दिल को
तू भी खामोश मैं भी खामोश
इस मौन को तोड़ेगा कोन

कुसूर वार कौन
इस दिल को नहीं मालूम
खामोशियां छा गई है एक ना से
शायद वह हां ही तुड़वा सकती मौन कि चुपी
जिसने ना जाने क्यों ना बोल दिया

अक्सर ना नकारात्मकता दिलाता है
रूलाता है इस दिल को
ना जानें क्यों तोड़ता है यह ना अनगिनत रिश्तों को
आओ उतारे मौत के घाट इस मोन को

फिर से गुनगुनाए गीत प्रीत के
फिर से जवां करे दिल से दिल को
ज्यों रोशन करे दीपक, दीपक कि ज्योत को
फिर से मधुर तान छेड़े दिल को जोड़ने का।।

✍️ विजय पोखरणा "यस"
💐💐🙏 HBU EXTN,
AJMER (Raj)
9530399703        
Director of Modulus Academy
Committed towards excellent education and Consultant for Higher study in Abroad at renowned foreign universities and colleges 🙏💐💐

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11 Comments

Mohammed urooj khan

18-Oct-2023 03:05 PM

👌👌👌👌

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Punam verma

17-Oct-2023 07:44 AM

Nice👍

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VIJAY POKHARNA "यस"

17-Oct-2023 09:59 PM

Thanks 🙏🙏

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Gunjan Kamal

17-Oct-2023 07:30 AM

बहुत खूब

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VIJAY POKHARNA "यस"

17-Oct-2023 09:58 PM

Thanks 🙏🙏

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